Tuesday, February 28, 2012

थी, हूं, रहूंगी... वर्तिका नन्दा का कविता संग्रह


र्तिका नंदा आईआईएमसी में हमें पढ़ाती थीं। उनकी दृष्टि में हम संस्थान से निकलने के बाद भी बने रहे ...कविताएं तब भी लिखती थीं, हमें भी पूछती थीं कि कविताएं लिख रहे हो या नहीं। कविता लिखना अंग्रेजी मुहावरे के मुताबिक हमारे कप की चाय नहीं है।

कविता लिखने की कोशिश करना एक बात है और उसे एक रिद्म में स्थापित करना दूसरी। हम बेहद ठेठ हैं, लेकिन वर्तिका नंदा की कविताएं आवां पर पकी औरतों के किस्से हैं।

बहुत दिनों तक उन्होंने अपराध पत्रकारिता की। असर कविताओं पर भी है। छनकर और मथकर जो निकला है वह किसी मुलम्मे का मोहताज नहीं। उनकी कविताओं पर मेरी टिप्पणी अभी जल्दबाजी होगी, इनकी किताब पुस्तक मेले में लोकार्पित की जा रही है।

उन्ही कि किताब की भूमिका से---

"थी, हूं, रहूंगीः भूमिका"
यह पहला मौका है जब कविता की कोई किताब पूरी तरह से महिला अपराध के नाम है। सालों की अपराध की रिपोर्टिंग का ही यह असर है कि अपराध पर कुछ कविताएं लिखी गईं।

मेरे लिए औरत टीले पर तिनके जोड़ती और मार्मिक संगीत रचती एक गुलाबी सृष्टि है और सबसे बड़ी त्रासदी भी। वह चूल्हे पर चांद सी रोटी सेके या घुमावदार सत्ता संभाले  सबकी आंतरिक यात्राएं एक सी हैं।
इस ग्रह के हर हिस्से में औरत किसी न किसी अपराध की शिकार होती ही है। ज्यादा बड़ा अपराध घर के भीतर का जो अमूमन खबर की आंख से अछूता रहता है। यह कविताएं उसी देहरी के अंदर की कहानी सुनाती हैं। यहां मीडिया, पुलिस, कानून और समाज मूक है। वो उसके मारे जाने का इंतजार करता है और उसके बाद भी कभी-कभार ही क्रियाशील होता है।  
हां, मेरी कविता की औरत थक चुकी है पर विश्वास का एक दीया अब भी टिमटिमा रहा है।

दुख के विराट मरूस्थल बनाकर देते पुरूष को स्त्री का इससे बड़ा जवाब क्या होगा कि मारे जाने की तमाम कोशिशों के बावजूद वह मुस्कुरा कर कह दे - थी. हूं.. रहूंगी...।
अपराधी समाज और अपराधों को बढ़ाते परिवारों को यही एक औरत का जवाब हो सकता है..होना चाहिए भी

जब तक अपराध रहेंगें, तब तक औरत भी थी, है और रहेगी

वर्तिका नन्दा


विश्व पुस्तक मेले में हॉल नंबर 11 पर उपलब्ध:

किताब का नाम  थी. हूं..रहूंगी...
कवयित्री  वर्तिका नन्दा
कवर - लाल रत्नाकर
प्रकाशक  राजकमल
मूल्य  250 रूपए

2 comments:

प्रवीण पाण्डेय said...

रोचक ही है कि अपराध पर पूरी पुस्तक ही लिख गयी है..

विभूति" said...

बेहतरीन अंदाज़..... सुन्दर
अभिव्यक्ति.......